दूधिया घास (Euphorbia hirat)

दूधिया घास (Euphorbia hirat)

दूधिया घास (Euphorbia hirat)

परिचय – यह भारत के सब प्रदेशो में होता है | ऊँचाई १ से २ फीट | पान १ इंच लम्बे | इस दूधी में रस कुछ दूध जौसा निकलता है | इस पोधे में कुछ छोटे छोटे रस ग्रिन्थिया भी होती है | इस दूधी में एक छोटी जाती भी होती हैं|
दोनों के गुण धर्म एक जौसे है |
मात्रा – १० से २० बूंद | सूखा चूर्ण २ से ५ रत्ती |
उपयोग – यह पेट के कीड़ो को मरती है और खांसी के लिए भी हितकर है |
दन्तकृमि - बड़ी दूधी के मूल को चबाकर रस को मुह में २-४ मिनट रखने पर कृमि मर जाते है और बेदना ख़त्म हो जाती है |
रक्तार्श : बड़ी दूधी के पानो का रस १-१ ग्राम मक्खन मिश्री के साथ ४-६ दिन तक रोज सुबह देते रहने से रक्तस्राव और दाह सहित बबासीर दूर हो जाते है |
दूधी दो प्रकार की होती है छोटी और बड़ी . किसी भी दीवार के किनारे , खाली बेकार पडी जगह पर नन्हे लालिमा लिए हुए छोटे छोटे पत्तों वाली दूधी नज़र आ जाती है . यह यूं ही उग जाती है ; बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है . और बड़ी दूधी के पत्ते हल्के हरे रंग के होते हैं . यह भी खाली जगह दीवारों के पास या बेकार पडी जगह पर दिख जाती है . इसका पौधा और पत्ते छोटी दूधी से थोड़े बड़े होते हैं.
अगर शौच बार बार  रहा हो या colitis की समस्या हो तो दूधी चबाएं या फिर इसका सूखा पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें.
पेचिश हो तो ताज़ी दूधी पीसकर जरा सी फिटकरी मिलाकर लें.
नकसीर आती हो तो सूखी दूधी पीसकर मिश्री मिलाकर लें.
बच्चों के पेट में कीड़े हों तो इसका रस एक दो चम्मच देंइससे पेट के कीड़े तो मरेंगे ही शक्ति में भी वृद्धि होगीआदिवासी ग्रामीणों का तो यहाँ तक मानना है कि दूधी को कान पर लटकाने भर से ही पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं.
हरे पीले दस्त भी इसके रस से ठीक हो जाते हैं
मधुमेह की बीमारी हो या कमजोरी अधिक हो तो इसका एक-एक चम्मच रस सवेरे शाम लें.
बाल झड़ते हों तो दूधी के रस के साथ कनेर के पत्तों का रस मलकर बालों की जड़ में लगायेंअकेला दूधी का रस भी लगा सकते हैं.
लिकोरिया की समस्या हो या गर्भधारण में समस्या  रही हो तो इसका पावडर नियमित रूप से लें या इसका काढ़ा बनाकर लें.
खांसी होने पर दूधी +काली मिर्च +तुलसी लें.

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