Bhui Aanvala ke Ghrelu Deshi Upchar -भुई आंवला के घरेलू देशी उपचार
भुई आंवले का पेड़ नहीं बल्कि पौधा होता है जिस प्रकार बारिश के मौसम में खरपतवार होते हैं ठीक उसी प्रकार सभी स्थानों पर भुई आंवले का पौधा दिखाई देता है. आंवले की पत्तियों के नीचे छोटे – छोटे आंवले फल के रूप में लगते हैं.
लीवर बढ़ना ( Liver Swelling ) :भुई आंवला जिगर के रोग को ठीक करने की सबसे ज्यादा विश्वसनीय दवाई है. यदि आपका लीवर बढ़ गया है या सूज गया है तो भुई आंवले का काढ़ा बनाकर सेवन करें.
लीवर बढ़ना ( Liver Swelling ) :भुई आंवला जिगर के रोग को ठीक करने की सबसे ज्यादा विश्वसनीय दवाई है. यदि आपका लीवर बढ़ गया है या सूज गया है तो भुई आंवले का काढ़ा बनाकर सेवन करें.
Bilurubin बढ़ना तथा पीलिया रोग ( Jaundice and Bilurubin Swelling ) :यदि आपका Bilurubin अधिक हो गया है या आपको पीलिया हो गया है तो इसपेड़ को जड़ समेत ही उखाड लें, इसका काढ़ा बना लें, इस काढ़े को रोजाना प्रात: तथा शाम को पियें या सूखे हुए पंचांग का 2-3 ग्राम काढ़ा बना लें और प्रात: तथा शाम को पियें. इसे पीने से आपका Bilurubin सही हो जाएगा साथ ही आपका पीलिया रोग भी ठीक हो जाएगा.
जिगर में सूजन ( Hepatitis ) :यदि आपके जिगर में सूजन आ गई है तो थोड़ाभुई आंवला का रस, श्योनाक का रस तथा पुनर्नवा के ताजे रस कासेवन करें या पंचांग का काढ़ा पिएं इससे आपके जिगर की सूजन खत्म हो जाएगी.
खांसी ( Cough ) :जिसे खांसी है उसे भुई आंवला तथा तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए इससे खांसी ठीक हो जाती है.
शरीर में पाए जाने वाले अवयव ( Compound Found in Body ) :शरीर में ऐसे अनेक जहरीले अवयव पाए जाते है जो शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपके शरीर में पाए जाने वाले विविध अवयव नष्ट हो जाएं तो आप भुई आंवला का सेवन करें.
मुंह के छाले ( Cold Sores ) :कई बार मुंह में छाले हो जाते हैं जिसके कारण खाना खाने में बहुत ही कठिनाई होती है. क्या आपके मुंह में भी छाले हो गये हैं, जिसके कारण आप कुछ भी नहीं खा पाते तो मुंह के छालों को ठीक करने के लिए भुई आंवला के पत्तों को चबाएं. इसे चबाने से आपके मुंह के छाले ठीक हो जाएँगे और आपको किसी भी चीज को खाने में कठिनाई महसूस नहीं होगी.
मसूढ़े पकना ( Gum Rankle ) :मसूढ़ों के पक जाने पर भुई आंवला का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है.
सीने में सूजन तथा गांठ ( Chest Swelling and Lumps ) :जिसके सीने में सूजन आ गई है या गांठ बन गई है उसे भुई आंवला के पत्तों को पीसकर इसका लेप लगाना चाहिए. इसके लेप से सीने की सूजन दूर हो जाती है.
ज्वर ( Fever ) :अगर आपको बहुत दिनों से ज्वर है या भूख नहीं लगती तोथोड़ा भुई आंवला लें, मुलेठी लें, गिलोय लें, इन सभी को मिलाकर काढ़ा बना लें, रोजाना इस काढ़े का सेवन करें इससे आपका ज्वर ठीक हो जाएगा साथ ही आपको भूख भी लगने लगेगी.
जलशोथ में लीवर का कार्य न करना ( Damaged Liver in Dropsy ) :कई लोगों की जलशोथ में लीवर अपना काम करना बंद कर देते हैं. ऐसी स्थिति में वे लोग जिनकी जलशोथ में लीवर ने काम करना बंद कर दिया है, 4-5 ग्राम भुई आंवला लें, 1/2 ग्राम कुटकी लें, 1-2 ग्राम सुखी हुई अदरक लें,इन सभी चीजों को मिलाकर काढ़ा बना लें, काढ़े को हर रोज सुबह–शाम पियें. इस काढ़े को पीने से आपके जलशोथ में लीवर अपना काम करना आरंभ कर देंगे.
किडनी में सूजन तथा रोग संचार ( Kidney Inflammation and Infection ) :किडनी की सूजन तथा रोग संचार (infection) को दूर करने के लिए भुई आंवला का काढ़ा बनाकर पियें. इसे पीने से किडनी की सूजन तो दूर हो ही जाती है साथ ही इसका रोग संचार (infection) भी दूर हो जाता है.
प्रमेह तथा प्रदर रोग ( Gonorrhea and Leucorrhoea ) :प्रदर रोग तथा प्रमेह जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए भुई आंवला का सेवन किया जाता है.
पेट का दर्द ( Stomach Pain ) :यदि आपके पेट में पीड़ा हो रही है और समझ नहीं आ रहा है कि पीड़ा किस कारण से हो रही है तो चिंता ना करें, भुई आंवला का काढ़ा बनाकर पी लें इससे आपके पेट के दर्द में आराम हो जाएगा.
मधुमेह (Sugar):मधुमेह एक बहुत ही खतरनाक रोग है. जिस व्यक्ति को यह रोग होता है उसके मुंह में खुजली होती है, उसे बहुत ज्यादा भूख और प्यास तो लगती है, किन्तु ज्यादा खाना खाने के बाद भी वह व्यक्ति कमजोर रहता है, बिना किसी वजह के व्यक्ति का वजन कम होने लगता है, उसे थकान महसूस होती है, उसका मन विचलित रहता है, पीड़ित व्यक्ति को बहुत ज्यादा पेशाब आता है, उसके पेशाब में शुगर की मात्रा होती है जिसके कारण वह व्यक्ति जिस जगह पर पेशाब करता है उस स्थान पर चीटियाँ लग जाती हैं, उनके शरीर में छाले तथा फोड़े–फुंसी बार–बार हो जाते हैं जो जल्दी ठीक नहीं होते, शरीर में लगातार खुश्की होती है तथा शरीर के जिस अंग पर खुश्की होती है वहां के आस–पास के अंग सुन्न पड़ जाते हैं, आँखों की रौशनी बिना किसी वजह के कम हो जाती है, संतानोत्पादक क्षमता कम हो जाती है तथा महिलाओं का पीरियड्स स्राव ठीक से नहीं होता या बंद हो जाता है.
उपचार ( Treatment ) : मधुमेह से बचने के लिए भुई आंवला में काली मिर्च मिलाकर सेवन करें इससे आप मधुमेह जैसे खतरनाक बीमारी से मुक्त हो जाएँगे. यदि मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति को फोड़े–फुंसी होने पर घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो उसे भुई आंवला का लेप बनाकर घाव पर लगाना चाहिए.
Pus cells बढ़ना (Pus Cells Increase):यदि आपका Pus cells बढ़ गया है तो आप भुई आंवला का सेवन करें. इससे आपका pus cells सामान्य हो जाएगा.
खुश्की (Dryness):अगर आपके शरीर के किसी भाग में खुश्की (खुजली) हो रही है तो भुई आंवला के पत्तों का रस अपने शरीर के उस भाग पर मलें जहाँ आपको खुजली हो रही है. इसे मलने से कुछ ही देर में आपकी खुश्की बंद हो जाएगी.
रक्त प्रदर रोग (Blood Leucorrhoea):रक्त प्रदर रोग अनेक कारणों से जैसे–एक दिन में 3-4 बार शयन करने के कारण, लाला मिर्च, खटाई वाली तथा मसालेदार चीजों जैसे अंडा, शराब तथा मांस आदि ज्यादा मात्रा में खाने से, अधिक गर्भपात होने से, आत्मिक जख्म के कारण, ज्यादा घबराहट तथा उदासी के कारण तथा ज्यादा वजन उठाने के कारण रक्त प्रदर रोग होता है. इस रोग में रज के साथ रक्त का स्राव होता है, कई बार गाढे रक्त का भी स्राव होता है. रक्त प्रदर में महिलाओं की कमर तथा पेट के नीचे वाले भाग में पीड़ा होती है, हाथ तथा पैरों में सूजन आ जाती है, घबराहट होती है तथा शरीर में धीरे-धीरे कमजोरी आ जाती है.
उपचार ( Treatment ) : रक्त प्रदर रोग से छुटकारा पाने के लिए भुई थोड़ा आंवला का रस लें, कुछ दूब का रस लें, इन दोनों को मिला लें, कुछ दिनों तक हर रोज सुबह शाम दो से तीन चम्मच पियें. इसे पीने से कुछ ही दिनों में आपका रक्त प्रदर रोग ठीक हो जाएगा.
आँतों का रोग संचार अथवा Ulcerative Colitis ( Infection in Intestines and Ulcerative Colitis ) :यदि आपको आँतों का रोग संचार अथवा Ulcerative Colitis है तोभुई आंवला तथा दूब का पौधा जड़ समेत ही उखाड़ लें, तीन – चार दिन तक लगातार भुई आंवला तथा दूब की जड़ का रस पियें. इससे आपका रक्त स्राव बंद हो जाएगा.
भुई आंवला के रोगों में अन्य घरेलू देशी उपचार को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट कर जानकारी हासिल कर सकते हो.
भूमि आंवला
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भूमि आंवल लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में चमत्कारिक रूप से उपयोगी हैं।
यह पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे चमत्कारी लाभ करता है। यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले स्थानो पर पूरा साल मिलता है। इसके पत्ते के नीचे छोटा सा फल लगता है जो देखने मे आंवले जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए इसे भुई आंवला कहते है। इसको भूमि आंवला या भू धात्री भी कहा जाता है। यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है। इसका सम्पूर्ण भाग, जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके गुण इसी से पता चल जाते हैं के कई बाज़ीगर भूमि आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं।
बरसात मे यह मिल जाए तो इसे उखाड़ कर रख ले व छाया मे सूखा कर रख ले। ये जड़ी बूटी की दुकान पंसारी आदि के पास से आसानी से मिल जाता है।
साधारण सेवन मात्रा : आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ दिन मे 2-4 बार तक। या पानी मे उबाल कर छान कर भी दे सकते हैं। इस पौधे का ताज़ा रस अधिक गुणकारी है।
लीवर की सूजन, बिलीरुबिन और पीलिया में फायदेमंद : लीवर की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पौधे को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढ़ा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी। पीलिया किसी भी कारण से हो चाहे पीलिया का रोगी मौत के मुंह मे हो यह देने से बहुत अधिक लाभ होता है। अन्य दवाइयो के साथ भी दे सकते (जैसे कुटकी/रोहितक/भृंगराज) अकेले भी दे सकते हैं। पीलिया में इसकी पत्तियों के पेस्ट को छाछ के साथ मिलाकर दिया जाता है। वैकल्पिक रूप से इसके पेस्ट को बकरी के दूध के साथ मिलाकर भी दिया जाता है। पीलिया के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर भी इसकी पत्तियों को सीधे खाया जाता है।
कभी नहीं होगी लीवर की समस्या : अगर वर्ष में एक महीने भी इसका काढ़ा ले लिया जाए तो पूरे वर्ष लीवर की कोई समस्या ही नहीं होगी। LIVER CIRRHOSIS जिसमे यकृत मे घाव हो जाते हैं। यकृत सिकुड़ जाता है उसमे भी बहुत लाभ करता है। Fatty LIVER जिसमे यकृत मे सूजन आ जाती है। पर बहुत लाभ करता है।
हेपेटायटिस B और C में. Hepatitis B – Hepatitis C : हेपेटायटिस B और C के लिए यह रामबाण है। भुई आंवला +श्योनाक +पुनर्नवा ; इन तीनो को मिलाकर इनका रस लें। ताज़ा न मिले तो इनके पंचांग का काढ़ा लेते रहने से यह बीमारी बिलकुल ठीक हो जाती है।
डी टॉक्सिफिकेशन : इसमें शरीर के विजातीय तत्वों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।
मुंह में छाले और मुंह पकने पर : मुंह में छाले हों तो इनके पत्तों का रस चबाकर निगल लें या बाहर निकाल दें। यह मसूढ़ों के लिए भी अच्छा है और मुंह पकने पर भी लाभ करता है।
स्तन में सूजन या गाँठ : स्तन में सूजन या गाँठ हो तो इसके पत्तों का पेस्ट लगा लें पूरा आराम होगा।
जलोदर या असाईटिस : जलोदर या असाईटिस में लीवर की कार्य प्रणाली को ठीक करने के लिए 5 ग्राम भुई आंवला +1/2 ग्राम कुटकी +1 ग्राम सौंठ का काढ़ा सवेरे शाम लें।
खांसी : खांसी में इसके साथ तुलसी के पत्ते मिलाकर काढ़ा बनाकर लें .
किडनी : यह किडनी के इन्फेक्शन को भी खत्म करती है। इसका काढ़ा किडनी की सूजन भी खत्म करता है। SERUM CREATININE बढ़ गया हो, पेशाब मे इन्फेक्शन हो बहुत लाभ करेगा।
स्त्री रोगो में : प्रदर या प्रमेह की बीमारी भी इससे ठीक होती है। रक्त प्रदर की बीमारी होने पर इसके साथ दूब का रस मिलाकर 2-3 चम्मच प्रात: सायं लें। इसकी पत्तियाँ गर्भाधान को प्रोत्सहित करती है। इसकी जड़ो एवं बीजों का पेस्ट तैयार करके चांवल के पानी के साथ देने पर महिलाओ में रजोनिवृत्ति के समय लाभ मिलता है।
पेट में दर्द : पेट में दर्द हो और कारण न समझ आ रहा हो तो इसका काढ़ा ले लें। पेट दर्द तुरंत शांत हो जाएगा। ये पाचन प्रणाली को भी अच्छा करता है।
शुगर में : शुगर की बीमारी में घाव न भरते हों तो इसका पेस्ट पीसकर लगा दें . इसे काली मिर्च के साथ लिया जाए तो शुगर की बीमारी भी ठीक होती है।
पुराना बुखार : पुराना बुखार हो और भूख कम लगती हो तो , इसके साथ मुलेठी और गिलोय मिलाकर, काढ़ा बनाकर लें। इसका उपयोग घरेलू औषधीय के रूप में जैसे ऐपेटाइट, कब्ज. टाइफाइट, बुखार, ज्वर एवं सर्दी किया जाता है। मलेरिया के बुखार में इसके संपूर्ण पौधे का पेस्ट तैयार करके छाछ के साथ देने पर आराम मिलता है।
आँतों का इन्फेक्शन : आँतों का इन्फेक्शन होने पर या अल्सर होने पर इसके साथ दूब को भी जड़ सहित उखाडकर , ताज़ा ताज़ा आधा कप रस लें . रक्त स्त्राव 2-3 दिन में ही बंद हो जाएगा .
अन्य उपयोग :
- खुजली होने पर इसके पत्तों का रस मलने से लाभ होता है।
- इसे मूत्र तथा जननांग विकारों के लिये उपयोग किया जाता है।
- प्लीहा एवं यकृत विकार के लिये इसकी जडों के रस को चावल के पानी के साथ लिया जाता है।
- इसे अम्लीयता, अल्सर, अपच, एवं दस्त में भी उपयोग किया जाता है।
- इसे बच्चों के पेट में कीडे़ होने पर देने से लाभ पहुँचाता है।
- इसकी पत्तियाँ शीतल होती है।
- इसकी जडों का पेस्ट बच्चों में नींद लाने हेतु किया जाता है।
- इसकी पत्तियों का पेस्ट आंतरिक घावों सुजन एवं टूटी हड्डियो पर बाहरी रूप से लगाने में किया जाता है।
- एनीमिया, अस्थमा, ब्रोकइटिस, खांसी, पेचिश, सूजाक, हेपेटाइटिस, पिलिया एवं पेट में ट्यूमर होने की दशा में उपयोग किया जा सकता है।
इसका कोई साइडेफेक्ट नहीं है :
लीवर व किडनी रोगियों के लिए विशेष : लीवर व किडनी के रोगी को खाने मे घी तेल मिर्च खटाई व सभी दाले बंद कर देनी चाहिए। मूंग की दाल कम मात्रा मे ले सकते हैं। मिर्च के लिए कम मात्रा मे काली मिर्च व खटाई के लिए अनारदाना प्रयोग करना चाहिए।भोजन मे चावल का अधिक प्रयोग करना चाहिए। हरे नारियल का पानी बहुत अच्छा है।
भोजन :–
1- सभी किस्म की दाले बंद कर दे। केवल मूंग बिना छिलके की दाल ले सकते।
2-लाल मिर्च, हरी मिर्च, अमचूर, इमली, गरम मसाला और पैकेट का नमक बंद कर दे।
3- सैंधा नमक और काली मिर्च का प्रयोग करे बहुत कम मात्रा मे।
4- यदि खटाई की इच्छा हो खट्टा सूखा अनारदाना प्रयोग करे।
5- प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम किशमिश/दाख/ मुनक्का (सूखा अंगूर) , खजूर व सुखी अंजीर पानी मे धो कर खिलाए।
6- चावल उबालते समय जो पानी (माँड़) निकलता है वह ले। वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
7- गेहू का दलिया, लौकी की सब्जी, परवल की सब्जी दे
8- भिंडी, घुइया (अरबी), कटहल आदि न खाए।
9- सफ़ेद पेठा (कूष्माण्ड जिसकी मिठाई बनाई जाती है) वह मिले तो उसका रस पिए व उसकी सब्जी खाए। पीले रंग का पेठा जिसे काशीफल या सीताफल कहते हैं वह न खाए।
1- सभी किस्म की दाले बंद कर दे। केवल मूंग बिना छिलके की दाल ले सकते।
2-लाल मिर्च, हरी मिर्च, अमचूर, इमली, गरम मसाला और पैकेट का नमक बंद कर दे।
3- सैंधा नमक और काली मिर्च का प्रयोग करे बहुत कम मात्रा मे।
4- यदि खटाई की इच्छा हो खट्टा सूखा अनारदाना प्रयोग करे।
5- प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम किशमिश/दाख/ मुनक्का (सूखा अंगूर) , खजूर व सुखी अंजीर पानी मे धो कर खिलाए।
6- चावल उबालते समय जो पानी (माँड़) निकलता है वह ले। वह स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
7- गेहू का दलिया, लौकी की सब्जी, परवल की सब्जी दे
8- भिंडी, घुइया (अरबी), कटहल आदि न खाए।
9- सफ़ेद पेठा (कूष्माण्ड जिसकी मिठाई बनाई जाती है) वह मिले तो उसका रस पिए व उसकी सब्जी खाए। पीले रंग का पेठा जिसे काशीफल या सीताफल कहते हैं वह न खाए।
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