Fever: Symptoms, treatments, types, and causes -(बुखार)

Fever: Symptoms, treatments, types, and causes -(बुखार)

Fever: Symptoms, treatments, types, and causes -(बुखार)

क्यों हो जाता है रात में बुखार तेज़

बुखार आना इस बात का संकेत है कि आपके अंदर कोई बीमारी पनप रही है, साथ ही सर्दी और बदन में दर्द की शिकायत भी होती है। इन लक्षणों से बीमारी के बारे में आसानी से पता किया जा सकता है।
लेकिन एक लक्षण है जिसमें बीमारी का पता आसानी से नहीं चल पाता और वो है रात में भुखार आना और दिन में भुखार एक दम उतर जाना। इससे रात की नींद ख़राब होती है साथ ही अगले दिन थकन महसूस होती है।
इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं की रात में भुखार क्‍यूं आता है और दिन में भुखार के कोई लक्षण भी नहीं दिखाई देते हैं। अकसर लोग इस तरह के लक्षण को नज़रअंदाज़ करते हैं जो की आगे चल कर उनके लिए बहुत घातक साबित हो सकता है।
भले ही आपका शरीर बुखार के कोई लक्षण नहीं दे रहा हो और सिर्फ रात में भुखार होता हो। लेकिन फिर भी आपको अपने डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए। अगर आपको रात में भुखार चढ़ता है तो नीचे दिए कारणों को जरूर पढ़ें और अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएँ।

  1. एलर्जी
रात में भुखार आने का एक कारण हो सकता है कि आपको किसी दवा से एलर्जी हो गयी हो। इसमें रात में भुखार के साथ शरीर में लालिमा और सूजन भी हो जाती है। यह और भी खतरनक होजाये इसे पहले अपने डॉक्टर को जरूर दिखा लें।
  1. यू टी आई
रात में भुखार आने का कारण यरनेरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन भी हो सकता है। इसमें पेशाब करते समय जलन और दर्द भी होता है। इस हालत में कोई लापरवाही ना करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  1. श्वास तंत्र में संक्रमण
एक कारण सर्दी, भोजन नली में संक्रमण की वजह से गले में दर्द और फिर रात में भुखार आना। कभी कभी यह कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर इसे नज़र अंदाज़ किया जाता है तो यह संक्रमण आसानी से जाता नहीं है।
  1. त्वचा का संक्रमण
किसी भी तरह का संक्रमण आपके शरीर का तापमान बढ़ा सकता है। इसी तरह अगर आपको कोई त्वचा का संक्रमण है तो भी आपको रात में भुखार आ सकता है।
  1. सूजन
शरीर में किसी भी तरह की बीमारी, और एलर्जी, से सूजन हो सकती है जिससे भुखार भी आ सकता है। अगर यह स्थिति ज्यादा दिनों तक बानी रहती है तो अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें।
  1. कनेक्टिव टिशू डिसॉर्डर
कनेक्टिव टिशू डिसॉर्डर जैसे रूमटॉइड आर्थ्राइटस की वजह से भी भुखार आता है और जोड़ों में बहुत तेज़ दर्द भी होता है।
  1. तनाव
पूरे दिन काम करने से शरीर में तनाव और थकान हो जाती है जिससे रात में भुखार हो जाता है। इसलिए अपनी शरीर से ज्यादा काम ना लें और जितना हो सके कम से कम काम करें।

बच्चों में वायरल बुखारलक्षण और कारण
वायरल संक्रमण हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं मगर कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां भी हैं जो चिंता का विषय है।

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आजकल पूरे वातावरण में अचानक से बदलाव हो रहें हैं और इसके साथ ही साथ पूरा वातावरण भी प्रदूषित (the entire environment is getting pouted) है।
खाने पीने की चीजों में भी अशुद्धि और मिलावट है (there is adulteration in food) , जिससे हमारे बच्चों की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता घटती ही जा रही है (natural immunity in children is getting decreased)।
एक छोटा सा नाज़ुक बच्चा इन सारे परिवर्तन को एक साथ सहन नहीं कर पाता है जिसके फलस्वरूप वह बीमार पड़ जाता है (child gets infection)।
यह बीमारियां भी विभिन्न प्रकार की होती हैं जो बच्चे को पूरी तरह से अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इन्ही बीमारियों में वायरल बुखार (viral infection) भी एक बीमारी है।

बच्चों में वायरल बुखार - Viral fever in children
वायरल संक्रमण (viral infection) हर उम्र के लोगों में एक आम बात है। मगर बच्चों में यह जायद देखने को मिलता है (viral infection is common in children))। हालाँकि बच्चों में पाए जाने वाले अधिकतर संक्रामक बीमारियां चिंताजनक नहीं हैं इनमें से कुछ आम संक्रामक बीमारियां है सर्दी खांसी, झुकाम, उलटी, दस्त और भुखार (common infection in children include cold, cough, fever, vomiting and lose motion)। इनके आलावा कुछ गंभीर संक्रामक बीमारियां (serious infectious disease in children) भी हैं जो चिंता का विषय है। जैसे - चेचक (missiles), जो  वैक्सीन के कारण अब उतना नहीं देखने को मिलता है (vaccine is effective in controlling serious infections)।
अधिकतर संक्रामक बीमारियां इसलिए भी चिंता का विषय नहीं हैं क्योँकि वे समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाएंगी। (most infectious disease go away on their own after a set duration that varies from infection to infection) बहुत सी संक्रामक बीमारियां इतनी अलग हैं की उनके डायग्नोसिस (diagnosing viral infection is not required since symptoms are enough to identify them) के लिए किसी टेस्ट की जरुरत ही नहीं है। उनके लक्षण ही काफी हैं उनकी पहचान के लिए।
 बच्चों में वायरल बुखार क्यों होता है - Why does my child have a fever?
हर बच्चा कभी ना कभी बीमार पड़ता ही रहता है। वो इसलिए क्यूंकि उसके शरीर में बिमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक छमता पूरी तरह से डेवेलोप नहीं हुई (immune system is not fully developed in children) है। इसके आलावा उन्हें ये नहीं पता होता की गन्दगी क्या होती है। वे जमीन पर पड़ी कुछ भी गन्दी वस्तु मुँह में डाल लेते हैं जिससे संक्रमण उनके शरीर में प्रवेश कर जाता (children body get infected when put dirty things lying on the floor in their mouth) है। हमें गन्दी वस्तुओं को, जिनसे संक्रमण का खतरा हो, बच्चों के पहुँच से दूर रखना चाहिए। बीमारी से बचाव ही सबसे बेहतरीन इलाज है।  Keeping children in hygienic condition is the best way to protect them.

वायरल बुखार क्या है - what is viral fever?
वायरल बुखार एक एक्यूट वायरल संक्रमण (viral fever is acute viral infection) है। इसमें संक्रमित विषाणु शरीर में तेजी से फैलते हैं और कुछ ही दिनों में पूरी तरह खत्म भी हो जाते हैं।
वायरल होने पर रोगी का तांत्रिक तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है। इससे वे पीले तथा सुस्त पड़ जाते हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इसके अलावा शिशुओं में निमोनिया, कंठशोथ और कर्णशोथ जैसी जटिलताएँ भी पैदा हो जाती हैं। किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खाँसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है।
बच्चों में वायरल बुखार कितनी दिन रहता है - How long does a viral infection last in a child?
संक्रमण कई तरह के होते हैं। हर बीमारी की अवधि अलग अलग होती है। वायरल बुखार कम से कम तीन दिन और अधिक से अधिक दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार को किसी दवा से या एंटीबायोटिक से ठीक नहीं किया जा सकता है। परन्तु वायरल बुखार के दौरान बच्चों की प्रतिरोधक छमता बहुत घाट जाती है, जिस कारण ये जरुरी होता है की उनको सावधानी के तौर पे, डॉक्टर की सलाह पर दवाई दिया जाये। परन्तु बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण हुई बीमारी को एंटीबायोटिक के द्वारा ठीक किया जा सकता है।

बच्चों में वायरल बुखार होने पर तापमान को कैसे निचे लाएं - How do you bring down a high temperature?
बच्चों में वायरल बुखार होने पर तापमान को बिना किसी दवा के मदद के भी निचे लाया जा सकता है। परन्तु इस का मतलब यह नहीं की बीमारी का इलाज हो गया। बुखार में तापमान इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है। मगर तापमान बहुत जयादा हो जाये तो बच्चों के शरीर पर इसका बुरा आसार भी हो सकता है। इससे डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। इस परिस्थिति में तापमान की निचे लाना जरुरी हो जाता है।
बिना किसी दवा केघरेलू उपचार के द्वारा भी तापमान को निचे लाया जा सकता है - home remedy to bring down high temperature in small children:
  • बच्चा जब बिस्तर पे आराम कर रहा हो तो उसके माथे पे ठंडा भीगा कपडा रखें
  • भीगे कपडे से बच्चे के शरीर को पोंछें। बच्चे के शरीर के तापमान को निचे लाने का यह एक कारगर तरीका है
  • आपने बच्चे को तरल खाना खाने को दें
  • कमरे का पंखा चला दें
  • बच्चे को कम और आराम दायक कपडा पहनाएं। इससे बच्चे के शरीर का तापमान आसानी से निकल जायेगा। मगर यदि आप का बच्चा ठण्ड से काँप रहा हो तो उसे पतला कम्बल उड़ा दें।
  • बच्चे को कमरे ठण्ड जगह में रखें। अपने बच्चे को बहार ना जाने दें।
सावधानियां - Medical emergency 
अगर आप के बच्चे का तापमान किसी भी वक़्त 100.4 या फिर इससे अधिक पहुँच जाये तो आप को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। ये एक मेडिकल एमर्जेन्सी (medical emergency) है। अगर आप का बच्चा 3 महीने से कम उम्र का है तो डॉक्टर को यह बात आवश्य बताएं (consult doctor immediately if your child is within the age of 3 months and inform specifically about the age)।
बच्चों में वायरल बुखार के लक्षण - Symptoms of viral fever in children
  1. बच्चे के पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द होता है।
  2. गले में खराश और खाँसी आना।
  3. मिचली और उलटी होना।
  4. नाक से लगातार पानी बहना।
  5. सिर में दर्द होना।
  6. आँखें लाल- लाल हो जाना और उसमें जलन का एहसास होना।
  7. त्वचा पर धब्बे।
  8. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
  9. सामान्य रूप से कमज़ोरी होना।
  10. बच्चे को अत्यधिक ठण्ड लगने लगती है।
  11. अत्यधिक दस्त होना।
  12. शरीर का तापमान 100 से 103 डिग्री हो जाता है।
  13. तीन हफ़्तों से अधिक खाँसी आना।
  14. मल में खून आना।
  15. हाथ - पैर में सूजन।
  16. दौरे पड़ना।
  17. छींक आना।
बच्चों में वायरल बुखार कारण - Reasons of viral fever in child
  1. प्रदूषित जल और भोजन का सेवन।
  2. वायु द्वारा उत्पन्न सूक्ष्म कणों का भीतर जाना।
  3. वायरल बुखार बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक संक्रमित होता है जिससे यह बुखार एक साथ कई लोगों को हो जाता है।
  4. बच्चे को होने वाला फीवर लापरवाही करने पर खतरनाक रूप लेकर वायरल फीवर में परिवर्तित हो जाता है।
  5. मौसम में आये बदलाव की वजह से यह बुखार होता है।
  6. वायरल बुखार इम्युनिटी सिस्टम ( प्रतिरोधक क्षमता ) के कमजोर होने की वजह से होता है।
  7. अत्यधिक थकान  होना।
क्या वायरल बुखार से दूसरों को संक्रमण फैलता है - Is viral fever is contagious?
बुखार कम हो या ज्यादा हो, अगर आप के बच्चे को बुखार है तो उसे घर में ही रखें। बुखार किसी भी तरह का हो, वह संक्रामक है। आपके बीमार बच्चे के द्वारा दूसरे बच्चों को भी संक्रमण लग सकता है।

बच्चों में वायरल बुखार का घरेलू उपचार - Viral fever in children home remedies
  • एक लीटर पानी में ताजे तुलसी के पत्तों के साथ लौंग को उबालें। इतना उबालें की पानी घट कर आधा हो जाये। जब पानी ठंडा हो जाये तो इसे दिन में तीन बार पिने तो दें।
  • जैतून और लहसुन दोनों ही बुखार के लिए बहुत अच्छी दवा है। दो कच्चे लहसुन को क्रश कर के दो बड़े चमच जैतून के तेल में मिला लें। सोने से पहले इस मिश्रण को बच्चे के पैर के तलवे पे लगा दें।
  • एक छोटा अदरक लें। उसे छील कर और क्रश करके एक कप पानी में कुछ देर उबालें। इसमें शहद में मिला दें और दिन में दो से तीन बार पियें।

अगर आपके बच्चे में उपर्युक्त लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो आप उसका पहले घरेलू इलाज करें और आराम न मिलने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जा कर उसका चेक अप करवाएं।

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