मिर्गी के लक्षण , कारण और बचने के उपाय – Epilepsy knowhow
मिर्गी का दौरा Epilepsi Fits दिमाग से सम्बंधित परेशानी है। मिर्गी आना अपने आप में कोई रोग नहीं होता है , यह तंत्रिका तंत्र में आये विकार का परिणाम होता है। इसमें अचानक मस्तिष्क की विद्युतीय गतिविधि में गड़बड़ी हो जाती है।जिसके कारण चेहरे , गर्दन और हाथ पैरों में झटके लगना , मसल टाइट होकर शरीर का अकड़ जाना , बार बार एक जैसी गतिविधि करना , चक्कर या बेहोशी आना आदि हो सकते हैं।
यह असर कुछ सेकण्ड से कुछ मिनट तक रह सकता है। कुछ देर में यह दौरा seizures अपने आप बंद भी हो जाता है। इसे ही मिर्गी आना या मिर्गी का दौरा पड़ना seizures कहते हैं। आयुर्वेद में इसे अपस्मार Apasmara कहते हैं।
मिर्गी किसे हो सकती है
दुनिया भर में में लाखों लोग मिर्गी से प्रभावित हैं। यह किसी को भी हो सकती है। छोटे बच्चों और बुजुर्ग लोगों को इसके होने की संभावना अधिक होती है। लोग इसे अनुवांशिक समझते हैं लेकिन अनुवांशिकता इसका कारण कम ही होता है।मिर्गी आती हो तो भी शादी की जा सकती है। बच्चों को भी मिर्गी की परेशानी होगी इसकी संभावना कम ही होती है।
कुछ लोग दिमागी काम ज्यादा करना , अधिक मेहनत का काम करना , मानसिक तनाव , डिप्रेशन आदि को मिर्गी का कारण मानते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि पतले दुबले लोगों को या मांसाहार करने वाले लोगों को मिर्गी आती है। लेकिन ऐसा नहीं है। खुश मिजाज इंसान , कम मेहनत वाला काम करने वाले या शाकाहारी या मजबूत कद काठी के लोगों को भी मिर्गी हो सकती है।
मिर्गी छुआछूत की बीमारी नहीं है। यह दिमागी कमजोरी या कोई दिमागी रोग नहीं है। जिन्हे मिर्गी आती है उनका दिमाग सामान्य लोगों जैसा ही काम करता है और वे सामान्य जीवन जी सकते हैं । मिर्गी का स्थायी इलाज सुनिश्चित नहीं होता है लेकिन नियमित दवा लेने और कुछ सावधानी तथा जानकारी रखने से इसके असर को करके सामान्य जीवन जी सकते हैं।
गावों में जानकारी के अभाव में इसे भूत प्रेत आदि का साया समझकर झाड़ फूंक आदि उपचार करवाए जाते हैं जिनसे कोई लाभ नहीं होता। इसीलिए शहरी क्षेत्र की अपेक्षा गांव में मिर्गी के रोगी अधिक पाए जाते हैं। अतः मिर्गी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अच्छे डाक्टर से संपर्क करना चाहिए और पूरा इलाज करवाना चाहिए।
भारत में 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा भारत में जरुरत मंद लोगों के लिए मिर्गी की निशुल्क या कम कीमत पर जाँच , उपचार , दवाएँ एवं जानकारी आदि के लिए कैंप आयोजित किये जाते हैं।
मिर्गी आने के कारण – Cause of epilepsy
मस्तिष्क में गड़बड़ी के कई कारण हो सकते है जिसमे तेज बुखार , सिर पर चोट , ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना , शराब अचानक से बंद करना आदि भी हो सकते हैं। अधिकतर मिर्गी के मुख्य कारण का पता नहीं चल पाता। कुछ समझ में आने वाले कारण इस प्रकार हो सकते हैं –
— सिर में लगी चोट।
— बहुत तेज बुखार।
— ब्रेन स्ट्रोक ( यह 35 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में मिर्गी होने की मुख्य वहज होता है ) ।
— तंत्रिका तंत्र Nervous system की कोई बीमारी।
— दिमाग को ऑक्सीजन की कमी।
— ब्रेन ट्यूमर।
— दिमागी बीमारी जैसे डेमेंशिया या अल्जाइमर।
— गर्भावस्था के समय लगी चोट , जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी हो जाना , दिमाग के विकास में गड़बड़ी रह जाना
मिर्गी के लक्षण – Symptoms of epilepsy
दौरा पड़ना seizures इसका मुख्य लक्षण है। अलग लोगों में अलग प्रकार के लक्षण दिख सकते हैं।
मिर्गी का हल्का दौरा पड़ने के ये लक्षण हो सकते हैं –
— स्वाद , गंध , दिखने तथा सुनने या छूने के अहसास में परिवर्तन ,
— चक्कर आना ,
— शरीर में झनझनाहट होना या झटके लगना ,
तेज दौरा पड़ने पर –
— एकटक देखना ,
— किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देना ,
— बार बार एक जैसी गतिविधि करना ,
— बेहोश होना ,
— मांसपेशियाँ भिंच कर टाइट होना ,
— गिर जाना ,
— चेहरे , गर्दन और हाथ या पैरों में झटके लगना ,
— कपड़ों में ही मूत्र या मल त्याग कर देना ,
— जीभ काट लेना ,
— शरीर अकड़ जाना
दौरा बंद होने के बाद कुछ लोगों को यह याद नहीं रहता है और कुछ लोग कमजोरी महसूस करते हैं।
कुछ लोगों को किसी विशेष कारण से दौरा पड़ता है और उन्हें इसका अंदाजा लगने लग जाता है।
इनमें से मुख्य कारण ये हो सकते हैं –
— नींद पूरी ना होना।
— बुखार ,
— तनाव ,
— तेज , चमकीली या रंग बिरंगी रोशनी ,
— दवा , कैफीन , शराब आदि।
— ज्यादा खाना , भूखा रहना या कोई विशेष खाने पीने की चीज़।
दौरा पड़ने के एक से ज्यादा कारण भी हो सकते हैं।
इन कारणों पता लगाने के लिए इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर को बताना चाहिए ताकि इलाज में आसानी हो सके –
— दौरा किस दिन और किस समय पर पड़ा।
— दौरा पड़ा तब क्या कर रहे थे।
— आपके आस पास क्या हो रहा था।
— कोई विशेष बात हुई हो जैसे कोई आवाज , कोई गंध या कुछ दिखा हो।
— किसी बात से अजीब सा अहसास हुआ हो।
— खाना कब , कितना और क्या खाया था।
— नींद और थकान की स्थिति कैसी थी।
चेक अप और डायग्नोसिस – check up and diagnosis
यदि आपको लगे की आपको शायद मिर्गी का दौरा आया था और दो तीन बार ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ विशेष प्रकार की जाँच कराने पर मिर्गी ही है या नहीं यह पता चलता है। इसमें रक्त की जाँच भी शामिल होती है।
EEG ई ई जी नामक जाँच मिर्गी के लिए की जाने वाली एक सामान्य जाँच है। इसमें दर्द नहीं होता। मशीन द्वारा दिमाग में होने वाली विद्युतीय गतिविधियां रिकॉर्ड की जाती हैं। इसकी कीमत अलग अलग शहर के अनुसार 500 /-से 2000/- रूपये के बीच हो सकती है।
इसके अतिरिक्त सी टी स्कैन , एम आर आई या टोमोग्राफ़ी आदि टेस्ट की जरुरत भी पड़ सकती है।
मिर्गी सुनिश्चित होने पर डॉक्टर की सलाह पर दवा जरूर शुरू कर देनी चाहिए।
मिर्गी का इलाज – epilepsy treatment
मिर्गी का इलाज लक्षण की तेजी , स्वास्थ्य ,उम्र आदि पर निर्भर करता है। हो सकता है कि दवाएं लम्बे समय तक लेनी पड़ें। खानपान और दिनचर्या में जरुरी बदलाव चिकित्सक के सलाह के अनुसार कर लेने चाहिए।
कुछ को दवा से फायदा होता है , कुछ को खानपान में बदलाव लाने से फायदा होता है , कुछ को ऑपरेशन की जरुरत भी पड़ सकती है।
खानपान
जिन्हे मिर्गी आती हो वो सामान्य भोजन कर सकते हैं किसी परहेज की जरुरत नहीं होती। कोई विशेष खाने पीने की चीज दौरे की वजह बनता हो तो उसे ना लें। व्रत उपवास आदि में भूखे रहने से दौरे ज्यादा आने की संभावना हो सकती है। ऐसा होता हो तो इन्हे ना करें। अन्न ना ले सकें तो दूध , फल आदि सागारी चीजें जरूर खा लें।
मिर्गी से ग्रस्त लोगों को खासकर बच्चों को कीटोजेनिक डाइट की सलाह अक्सर विशेषज्ञ द्वारा दी जाती है। इस तरह के खाने में कार्बोहाइड्रेट कम होते है और फैट अधिक होते हैं। यह खाना लेने से शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज़ के बजाय फैट का उपयोग करता है। यह क्रिया कीटोसिस कहलाती है।
कीटोजेनिक डाइट में फैट , कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का उचित सम्मिश्रण जरुरी होता है। अतः इसे विशेषज्ञ की देखरेख में लेनी चाहिए। कुछ तरह की मिर्गी में इससे बहुत लाभ हो सकता है और दौरे पड़ने कम हो सकते हैं।
किसी को मिर्गी का दौरा पड़े तो आपको क्या करना चाहिए
मिर्गी का दौरा रोक नहीं सकते यह अपने आप ही रुक जाता है। ऐसे में पीड़ित की कुछ मदद इस प्रकार जरूर की जा सकती है।
— शांत रहें। घबरायें नहीं। ये दौरे दिखने में जितने डरावने लगते है उतने खतरनाक नहीं होते हैं।
— पीड़ित को किसी चीज से चोट लगने का खतरा हो जैसे फर्नीचर या नुकीली चीजें तो उन्हें दूर खिसका दें।
— दौरा आ रहा हो या बेहोशी में हो , झटके आ रहे हों तो नरम साफ जगह पर करवट दिला कर लिटा दें। सिर के नीचे नरम तकिया लगा दें।
— कपडे ढ़ीले कर दें।
— मुँह में लार जमा हो गई हो तो साफ कपड़े या रुमाल से पोंछ दें।
— दौरा पड़ने का समय देखें।
— अगर मरीज गिरे नहीं लेकिन खो सा जाये तो सावधानी से सुरक्षित जगह ले जाएँ और बिठा दें या लिटा दें।
— पीड़ित को जूता या प्याज आदि नहीं सुंघाने चाहिए। ये अन्धविश्वास है और इससे संक्रमण लग सकता है।
— हाथ पैर ना दबायें , हथेली या पंजे की मालिश भी ना करें।
— जीभ दांत के बीच फंस गई हो तो साफ अंगुली से उसे अंदर कर दें अन्यथा जीभ कटने का डर होता है।
— पीड़ित के मुहँ में कुछ भी न डालें। कुछ भी पिलाने की कोशिश ना करें।
— पीड़ित को टाइट पकड़ कर जकड़ें नहीं।
— दौरा समाप्त होने पर सावधानी से करवट दिलवा दें और देखें की साँस सामान्य रूप से चल रही है या नहीं। ठोड़ी थोड़ी ऊपर कर दें ताकि साँस लेने में परेशानी ना हो। मुँह में कुछ नहीं हो यह देख लें। कुछ हो तो उसे सावधानी से बाहर निकाल दें। अगर साँस लेने में परेशानी होती दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।
— 5 मिनट में दौरा बंद नहीं हो तो एम्बुलेंस बुला लें और हॉस्पिटल ले जाएँ।
— पूरी तरह सामान्य होने तक पीड़ित के साथ रहें।
मिर्गी के नुकसान से बचने के उपाय – Protection
— मिर्गी का दौरा कभी भी पड़ सकता है। इसे ध्यान में रखकर ही पीड़ित को खुद की दिनचर्या बनाये रखनी चाहिए। बाहर जाते समय कोई
साथ हो तो ज्यादा अच्छा होता है।
— दवा निश्चित समय पर लें। चुकें नहीं।
— नींद पूरी लें।
— शराब का सेवन ना करें।
— दौरे की वहज को डायरी में नॉट करके रख लें तो ठीक रहता है ताकि उनसे बच सकें।
— अपने आस पास के लोगों को बता कर रखें कि मिर्गी आ जाये तो क्या करना चाहिए।
— डिप्रेशन या अत्यधिक तनाव जैसी अवस्था महसूस करें तो इस बारे में डाक्टर से सलाह जरूर करें।
— मिर्गी से ग्रस्त लोगों की मदद के लिए बने सपोर्ट ग्रुप आदि से जुड़ें।
— पौष्टिक भोजन लें तथा नियमित एक्सरसाइज करें।
मिर्गी के घरेलु नुस्खे – Home remedies for epilepsy
— एक चम्मच शहद में वच का कपड़छान चूर्ण एक ग्राम मिलाकर चाटें। इसके बाद दूध पियें। नियमित कुछ दिन इस उपचार से मिर्गी का दौरा आना बंद होता है।
— 50 ग्राम अकरकरा को 50 ग्राम सिरका में अच्छी तरह घोंट लें। इसमें 70 ग्राम शहद मिला दें। इसमें से रोजाना सुबह खाली पेट डेढ़ चम्मच लेने से मिर्गी में बहुत लाभ होता है।
— तुलसी के पत्तों का रस दस ग्राम और सेंधा नमक 1 ग्राम मिला लें। इसमें से एक एक बून्द नाक में टपकाने से और तुलसी के पत्तों को पीस शरीर पर लगाने से मिर्गी में आराम मिलता है।
— करोंदे के पत्ते दस ग्राम लेकर इन्हे दही के तोड़ या मठे के साथ पीस कर दो सप्ताह तक लेने से मिर्गी में फायदा पहुंचता है।
— दो ग्राम तगर ठन्डे पानी के साथ पीसकर नियमित एक महीने तक पीने से मिर्गी में लाभ होता है।
— तुलसी के पत्ते और कपूर साथ में पीस कर सुंघाने से मिर्गी के कारण बेहोश व्यक्ति को होश आ जाता है।
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