शतावरी के उपयोग, फायदे व नुकसान - Shatavari Uses

शतावरी के उपयोग, फायदे व नुकसान - Shatavari Uses

शतावरी के उपयोग, फायदे व नुकसान - Shatavari Uses

शतावरी एक ऐसा हर्ब है जिसका सदियों से महिलाओं के प्रजनन तंत्र (reproductive system) को नरिश करने यानि पोषण प्रदान करने के लिए किया जाता है। शतावरी को अंग्रेजी में एसपैरागस (asparagus) या हिन्दी में शतावर, नागदौन या शतामूल भी कहते हैं। ये हर्ब लता रूप में पाया जाता है जो विशेष रूप से श्रीलंका और भारत में पाया जाता है। इसको वाइल्ड एसपैरागस भी कहते हैं जो आम सब्ज़ियों से अलग होती है और जिसको खाया जाता है। शतावरी के कंद (tuber) के अनेक औषधीय गुण होते हैं।
सक्रिय तत्व- शतावरी के जड़ में 4 सैपोनीन (saponin) नाम का यौगिक होता है जिसको शतावारीन (shatavarin) I – IV और सरसापोजेनीन (sarsapogenin) कहते है। इस हर्ब में फ्लेवनॉयड यौगिक होता है जैसे रूटीन (rutin) , क्वेरसेटीन (quercetin) और कैम्पफेरॉल (kaempferol) ।
स्वास्थ्यवर्द्धक गुण- आयुर्वेद के अनुसार शतावरी महिलाओं के लिए टॉनिक जैसा काम करती है। क्योंकि ये महिला प्रजनन तंत्र पर प्रभावकारी रूप से काम करती है। यहां तक कि प्रीमैच्युर सिन्ड्रोम और मेनोपोज़ के लक्षणों से भी राहत दिलाने में बहुत मदद करती है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जो दूध पिलाने वाली माँ के स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में ये अहम् भूमिका अदा करती है। इसके अलावा भी शतावरी के अनेक और भी गुण और फायदे हैं, जैसे- हजम शक्ति को बढ़ाने, एन्टी-अल्सर एजेन्ट, एन्टीऑक्सिडेंट और एन्टीकैंसर के रूप में भी काम करती है। कई अध्ययनों से ये भी साबित हुआ है कि ये हर्ब लीवर को हेल्दी और सुरक्षित रखने में अहम् भूमिका अदा करती है।
कैसे करें इस्तेमाल- शतावरी के जड़ का कंद भाग थेरपी में काम आता है। शतावरी कल्प के नाम से जो टॉनिक बेचा जाता है उसमें यही सामग्री मूल रूप से होता है। लेकिन किसी क्वालिफायड आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर के सलाह लेकर ही इसका इस्तेमाल करें।
साइड इफेक्ट- शतावरी को सामान्यतः सेफ माना जाता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें व्यक्ति को हार्ट और किडनी की कोई समस्या न हो। कुछ लोगों को इस हर्ब का सेवन करने पर वज़न बढ़ने की शिकायत होती है। जिन लोगों को अक्सर एलर्जी की शिकायत रहती है उनको शतावरी के सेवन से एलर्जी होने की संभावना हो सकती है।

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