Long Pepper (Pippali) Benefits and Side Effects in Hindi - पिप्पली के फायदे और नुकसान

Long Pepper (Pippali) Benefits and Side Effects in Hindi - पिप्पली के फायदे और नुकसान

Long Pepper (Pippali) Benefits and Side Effects in Hindi - पिप्पली के फायदे और नुकसान

छोटा पीपल के उपनाम से मशहूर पिप्पली के फायदे औषधीय रूप से बहुत ज्यादा है. इसके अलावा इसे मसाले के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. लगभग शहतूत के फल के आकार वाले पिप्पली के नुकसान भी हैं. गहरे हरे रंग और ह्रदय के आकार वाले चौड़े पत्तों व कोमल लताओं वाले पिप्पली के कच्चे फलों का रंग गहरा हरा और पकने के बाद काला हो जाता है.

पहले जानते हैं पिप्पली के फायदों को


1. दिल के मामलों में
दिल की बीमारियों में भी पिप्पली के फायदे दिखाते हैं. इसका चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर सुबह खाने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है. इसके अलावा पिप्पली और छोटी हरड़ की समान मात्रा पीसकर एक चम्मच सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट दर्द, मरोड़ और दुर्गन्धयुक्त अतिसार में राहत मिलती है.
2. साँसों की बीमारी में
यदि आपको साँसों की बिमारी है तो इसमें भी आप पिप्पली के फायदे से राहत पा सकते हैं. इसके लिए आपको 2 ग्राम पिप्पली का चूर्ण बनाकर 4 कप पानी में उबाल लें. जब यह 2 कप रह जाए तो इसे छान लें. इसे 2-3 घंटे के अंतर पर थोड़ा-थोड़ा दिन भर पीते रहने से कुछ ही दिनों में सांस फूलने की समस्या से राहत मिलेगी.
3. सर दर्द में
इसे पानी में पीसकर माथे पर लेप लगाने से सिर दर्द में फायदा मिलता है. इसके लिए पिप्पली और वच चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें. फिर इसकी 3 ग्राम नियमित रूप से दो बार दूध या गर्म पानी के साथ लेने से सर दर्द में राहत मिलती है.
4. मोटापा से भी राहत
मोटापे में पिप्पली के फायदे लेने के लिए आपको इसका चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ रोजाना 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा कम होता है. इसके अलावा पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबालकर उसमें से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पिने से भी मोटापे से राहत मिलती है.
5. छुआ-छूत के रोगों में
इसमें पाए जाने वाले प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण से टी.बी. एवं अन्य संक्रामक रोगों में पिप्पली फायदेमंद है. इसके अलावा पिप्पली अनेक आयुर्वेदीय एंव आधुनिक दवाओं की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करती है.
पिप्पली के कई फायदों में से एक ये भी है कि इसके 1-2  ग्राम चूर्ण में सेंधानमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाने से दांत के दर्द से राहत मिलती है.
6. वात से उत्पन्न रोगों में
इसके लिए आपको 5-6 पुरानी पिप्पली के पौधे का जड़ सुखाकर उसका चूर्ण बनाना होगा. आपको बता दें कि इस चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ पिलाने से शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाले दर्द से 1-2 घंटे में ही राहत मिल जाती है. बुढ़ापे में इससे विशेष रूप से राहत मिलती है.
7. सर्दी जुकाम में
सर्दी जुकाम में पिप्पली का फायदा उठाने के लिए इसका मूल, काली मिर्च और सौंठ की बराबर मात्रा में चूर्ण लेकर इसकी 2 ग्राम की मात्रा शहद के साथ चाटने से जुकाम में राहत मिलती है. इसके अलावा आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण में समान मात्रा में भुना जीरा तथा थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर छाछ के साथ सुबह खाली पेट लेने से बवासीर में भी लाभ होता है.

पिप्पली के नुकसान



1. बिना किसी सावधानी के, पंचकर्म और रसायन प्रक्रिया के बिना, पिप्पली को अधिक मात्रा या लंबे समय के लिए इस्तेमाल नुकसानदेह साबित हो सकता है. इससे काफ में वृद्धि होती है. पिप्पली की अन्दुरुनी गरमी के कारण पित्त दोष बढ़ता है. इसकी कम चिकनाई (Alpasneha) के कारण, यह वात संतुलन के लिए जिम्मेदार मानी जाती है.
2. छोटे बच्चों को शिशुओं को इसके सेवन से बचाना चाहिए.
3. दूध और घी के साथ, यह प्रति दिन 250 मिलीग्राम की एक छोटी खुराक में बच्चों को दिया जा सकता है.
4. जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं वैसी माताओं को भी यह कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए.
5. जो महिलाएं गर्भावस्था में हैं उन्हें इसके उपयोग के लिए, अपने चिकित्सक की सलाह ज़रूर लेना चाहिए.

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